
अगर आपको लगता है कि ‘उद्योग’ सिर्फ बड़े शहरों का खेल है, तो योगी सरकार ने यूपी में वह पिच बना दी है, जहां अब गांव वाला भी प्लॉट पर प्लांट लगा सकता है।
नई “सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम औद्योगिक आस्थान प्रबंधन नीति” 2025 लॉन्च हो चुकी है, और मकसद साफ है —1 ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी की तरफ तेज़ रफ्तार बढ़ाना।
भूखंड आवंटन अब डिजिटल: No Jugaad, Only e-Auction
अब प्लॉट लेना है? तो किसी बाबू की चाय नहीं, ई-नीलामी पोर्टल की फाइलें गरम करनी होंगी।
लीज/रेंट पर प्लॉट अब ई-ऑक्शन या नीलामी से मिलेगा।
20% क्षेत्र में व्यावसायिक/आवासीय सुविधाएं भी दी जा सकती हैं।
तय रेट्स भी बड़ी सोच के साथ:
मध्यांचल: ₹2,500/वर्गमीटर
पश्चिमांचल: ₹3,000/वर्गमीटर (20% ज्यादा)
पूर्वांचल/बुंदेलखंड: ₹2,000/वर्गमीटर (20% कम)
हर साल 5% की वृद्धि, ताकि ब्याज ना सही तो जमीन ही महंगी हो जाए!
भुगतान की भी किस्तों में सहूलियत — “जियो और धीरे-धीरे भरो!”
10% दे दीजिए Earnest Money
बाकी पेमेंट:
One Go: तो 2% डिस्काउंट
12 या 36 EMI: थोड़ा ब्याज, थोड़ा संतोष
Late हुआ तो? सरकार तो अब बैंक है, पेनल्टी जरूर लगेगी!
आरक्षण का नया फॉर्मूला: 10% SC/ST को मिलेगी खास ज़मीन
यदि SC/ST उद्यमी पात्र हों तो 10% भूखंड आरक्षित।
नहीं हों तो जमीन खड़ी रहे? नहीं भाई! वो भूखंड आम वर्ग को दे दिया जाएगा।
समावेशिता + उत्पादकता = योगी मॉडल ऑफ ग्रोथ
सुविधा केंद्र से लेकर महिला हॉस्टल तक – Welcome to ‘Smart Udyog Nagari’
अब कोई उद्योगपति यह नहीं कह पाएगा कि “सड़क नहीं थी, बिजली नहीं थी, क्रेच नहीं था।”
सरकार दे रही है:
सामान्य सुविधा केंद्र

विद्युत उपकेंद्र
महिला हॉस्टल
क्रेच
अग्निशमन केंद्र
ग्रीन पार्क
ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट
हेल्थकेयर सेंटर
मतलब – इंडस्ट्री के साथ-साथ इंडस्ट्रियलिस्ट की फैमिली भी सेफ!
पारदर्शिता का SOP संस्करण
भूमि आवंटन से लेकर सरेंडर तक,
सबलेटिंग से लेकर पुनर्जीवन तक,
सब कुछ होगा स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SOP) के अनुसार।
ब्यूरोक्रेसी की भैंस अब कागज़ की बाड़ से बंधेगी!
सिर्फ प्लॉट नहीं, प्लानिंग है
इस नीति को पढ़कर एक बात तो तय है —
सरकार अब सिर्फ घोषणाएं नहीं कर रही, बल्कि ग्राउंड लेवल पर Land-to-Launch मॉडल बना रही है।
लेकिन… क्या यह पारदर्शिता ज़मीनी स्तर पर भी उतरेगी या सिर्फ नीतियों में चमकेगी?
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अब निवेशकों को “किसी की सिफारिश नहीं, क्लिक की ज़रूरत है!”
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अधिकारी तय करेंगे लीज़ की शर्तें, पर शायद वही तय करेंगे कि नीलामी पोर्टल का ठेका किसे जाए।
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ट्रिलियन डॉलर की तैयारी हो रही है, लेकिन कर्मचारी कह रहे हैं, “पहले बिजली आए तो मशीन चलाएं सर!”
“प्लॉट है, पोर्टल है, योजना है — अब आपकी बारी है। योगी सरकार ने गेंद डाल दी है, अब उद्यमियों को खेल दिखाना है।”
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